गांव अच्छा या शहर अच्छा
अपनी जन्मभुमि अपने बचपन के गांव शहर को कोई भी बुरा नही बोलेगा चाहे वह पिछड़ा हो या आधुनिक हो सब प्यार करते हैं कारण अपनी मिटी से मोह होता है यह उन की आत्मा में बसा होता है परंतु अगर आज आप उत्तर भारत के गांवो में खासकर के पंजाब हरियाणा हिमाचल पश्चिम उत्तरप्रदेश आदि गांवों को देख मन नाचने लगता है बडी बडी कोठियों साफ सफाई खुले आंगन शांति अच्छी पढ़ाई के लिए बसें सड़को पर शानदार पैलेस अपने गांव के बाजार,मंदिर गुरुद्वारे चर्च मस्जिद आपसी भाईचारक सांझ आदि कुदरत का रूप दिखने लगता है दिल्ली जैसे शहर प्रदूषण से भरे पड़े हैं जो देश की राजधानी भी है कोई कुछ नही कर पा रहा है बड़े बड़े मंत्री भी यही बैठे हैं कारण कुदरत के नियमो के विरुद्ध इतनी भीड़ इकट्ठी रखना ताकि वोट बैंक बना रहे आज छोटे बड़े शहर में गंदगी प्रदूषण शोर आदि सब में देखने को मिलता है गांव में नाम मात्र हो सकता है क्रोना में बड़े शहर में मौत अधिक हुई कारण पहले से प्रदूषण ने फेफड़े कमजोर कर रखे थे जल्दी मौत हो गई अधिकतर पैसा गांव में ही होता है गांव वालो के पास जमीन होती है जो सब कुछ खाने को देती है गरीब से गरीब भी दुध बेच कर अच्छी रोटी खा सकता है सब धर्मों के लोग मिल कर रहते हैं और सदियों से खानदानी जान पहचान रहती है अधिकतर फौजी गांव से ही होते है कहने का अभिप्राय मेरा गांव मेरा देश 70% देश के लोग गांव में ही रहते है ऐसा महसूस होता है जैसे ईश्वर गांवो में बसता है जबकि वह कण कण में रोम रोम में बस्ता है हर एक की रक्षा करता है





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