कौआ(CROW)
कौआ एक बहुत चालाक और चुस्त पक्षी है इस का रंग हल्का काला होता है नर और मादा में इन की पहचान करना मुश्किल लगता है, प्राचीन समय में और mob phone के आने से पहले तक घर मे मेहमान आने का अलर्ट alert देते थे 90% इन की भविष्यवाणी सच्ची होती थी किसी बार कौआ चिलाने के फॉर्न बाद ही मेहमान आ जाता था घर में हंसी छिड़ जाती थी घर में नई शादी वाले तो घर के आंगन में चूरी रखते थे कब उस का दिलजानी पति आने वाला है कब उन की चिट्ठी आने वाली है कौआ के उप्पर बहुत गीत परचलित हैं कई गीतों में इस की चोंच को सोना लगाने की बाते हुई है जिस चोंच से ये सचाई बयान करते है,कौआ की याददासत बहुत होती है इस की आवाज में जोश होता है ये खुद भी अपने पक्षी कौआ मेहमानो का बहुत समान करते है आप ने देखा होगा ये कितनी संख्या में इकट्ठे होते है उस दिन इन के घोसलो के आस पास एक मीठी आवाज में एक दुसरे के पास ऊडारीयां लगाते देखे जाते है जब कभी भी इन को कोई खतरा लगता है सब इकठ्ठे हो जाते है अपने घोंसले के पास तो किसी को जाने ही नही देते बल्की पूरे वृक्ष को अपना समझते है किसी को वृक्ष के नीचे से भी नही जाने देते खास करके जुन और Nov के माह में, कारण तब इन के अंडे घोसलो में होते है और छोटे बच्चे के जन्म का समय होता है नर मादा दोनो घोसले पर पहरा देते है
कौआ घर गांव आबादी के पास रहना पसंद करता है कारण यह है की यह खाने के लिए अधिक दुर नही जाता,यह गंद मंद सब कुछ खा जाता है घर में बच्चो के हाथ से रोटी छीन ले जाता है आजकल कोठियां बन चुकी है किचन अंदर होता है वरना प्राचीन समय में औरत को बहुत परेशान करते थे अगर वह खेतो में रोटी ले कर जाती थी तो ऊपर से रोटी उड़ाने की सोच लेते थे कौआ और कबूतर की कहानी यही थी कौआ कबुतर को साथ ले गया जब रोटी उड़ाने लगे तो चलाक कौआ तो बच गया शरीफ कबूतर औरत के पत्थर से मारा गया,कोयल कौआ को मूर्ख बनाती है कोयल अपने बच्चो को नही पालती यह निर्मोही होती है अर्थात इसे अपने बच्चे से मोह नहीं होता तो यह अपना अंडा कौआ के घोंसले में देती है अंडा देने के समय नर कोयल, कौआ को engagement करता है कौआ उस को भगाने के लिए अपना घोंसला छोड़ देता है इतने में मादा कोयल अपना अंडा दे देती है और कौआ का अंडा नीचे गिरा देती है जब बच्चा निकलता है वह भी कोयल,कौआ की तरह काला होता है कौआ उस को रोटी खिलाता रहता है बच्चे के बड़े होने पर कौआ को अपनी मूर्खता का पता चलता है मेरे ऑफिस के पास पंचायत का पेड़ो का जंगल है हर साल मैं जुन के महीने ये असलियत को देखता ह
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें