संकेत (indicators)

Aovid accident

 वास्तव में मानवीय संकेत या इशारे हमारी सुरीक्षता सेफ्टी में मदद करते है या यू कहें जो काम इशारा कर सकता है वह काम बोलने से नही होने वाला इश्क बाजी में इशारे बहुत महत्व रखते है क्यों की इशारा हमारी गोपनीयता या privacy को बनाए रखता है गूंगे आदमी के लिए इशारे विद्या का काम करते है आंख के इशारे हमेशा बदनाम रहते है इन का सीधा मतलब cheating से या इश्क बाजी से होता है हाथ के इशारे हमारी दिल की भावना को प्रगट करते है और एक दुसरे के आदर सत्कार में किए जाते है आप ने देखा है वोट के समय हमारे leaders दोनो हाथ जोड़ कर फ्री में वोटिंग करवा लेते है बाद में आंख दिखाते है जुबान खोलने की जरूरत नहीं पड़ती ऐसा ही हम सब लोग भी जीवन में करते रहते है समाज में हम हररोज देखते है जब हम किसी को सलाम दुया हाथो के इशारो से भी कर देते है मन को शांति मिल जाती है सेना में भी सैल्यूट हाथो के इशारे  से होता है और परमात्मा का नाम जपने में हाथ पैर जोड़े बिना तो मन को सकून नही मिलता,ट्रैफिक में तो हाथ के इशारे लोगो की जान भी बचाते है 

                     आजकल मानवीय इशारों की जगह इलेक्ट्रिक या elctronic  इशारों का आगमन हो चुका है इन का इस्तेमाल दुनिया के हर कोने में किया जा रहा है हमारी सब vehs गड्डियो में इन का प्रोपर बंदोबस्त किया गया है ताकि किसी एक्सीडेंट से बचा जा सके कोई जानी नुकसान न हो आप ने देखा है बड़े बड़े शहरों में ट्रैफिक चौराहे पर अपने इशारे की wait  में खड़ा होता है ऐसा प्रतीत होता है सही में इशारा एक महत्वपूर्ण राजा है जब भी इशारे को समझने में ड्राइवर से mis understanding हुई, दुर्घटना हुई है हाल ही में  दो trains का जो एक्सीडेंट हुआ था जिस में संकड़ों लोग मारे गए इशारे की ताकत को न समझना ही था चाहे वह इशारा ट्रैक का था या सिग्नल का,जब तक आप इशारे की ताकत को नही समझोगे पछताना पड़ेगा जब ड्राइवर सही इशारा देने को अपनी आदत में शामिल कर लेता है नुकसान होने से बच जाता है अपना और अपने साथ बैठे मित्रो का भी,

वरना हमारे देश में हर साल 2लाख  से अधिक लोग सड़को पर मारे जाते है और हजारों हैंडीकैप हो जाते है आगे परिवार  का नाश हो जाता है conclusion हम समझे और अमल करे, similarly एक इशारे की गलती भगत सिंह, राजगुरु, चंद्र शेखर आजाद और गोपाल चंद की टोली से हो गई ,मारना था DSP  j Sandra's को, मार दिया SP j scout को, हुआ ऐसे  लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेना था ,18 Dec 1928 को गोपाल चंद की ड्यूटी लगाई की जब DSP j saundras  ऑफिस से बाहर निकले और मोटरसाइकिल पर बैठ जाए तो रुमाल का इशारा करेगा गोपाल ने गलती से SP को DSP समझ कर इशारा कर दिया भगत सिंह राजगुरु ने उस को मार दिया जो मखन सिंह पीछा करने लगा तो चंद्रशेखर ने उसे मार दिया इशारे ने अपनी ताकत दिखा दी चाहे यह गलती गोपाल से हुई

                  

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