मनमुटाव (disaffection)

Disaffection

 मनमुटाव का अर्थ जब मनमर्जी सामने वाले के साथ न चले मनमुटाव हो जाता है या यूं कहे जब मन मोटा हो जाता है या दोनो में से किसी एक मन में खोट आ जाती है तो मिलना झुलना बंद हो जाता है तब बोलते फलानी चीज को लेकर मनमुटाव हो गया वैसे तो ये temporary होता है लेकिन कामकाज आपस में रूक जाता है इस का सब से बड़ा कारण दोनो का mental leval बराबर न होने से या फिर दोनो के स्वभाव में अंतर होने से अधिकतर होता है,पैसा ही ज्यादातर इस का कारण बनता है घर में शादीशुदा पुत्र का अपने मां बाप के साथ भी  मनमुटाव होते रहते है और मिटते रहते है सगे बहन भाईयो में भी मनमुटाव होता है सरकारी नौकरियों में भी अपने किसी दूसरे साथी के साथ होते रहते है और मिटते रहते है लेकिन मनमुटाव अपने बॉस के साथ नही होता यहां मन डर के अधीन होता है बॉस की झिड़के भी मिलती है तब भी मनमुटाव नही होता कारण यहां सचाई होती है कोई अपना स्वार्थ नही होता। 

               काफी समय पहले शायद 1983 की बात  है मैं फौज से छुट्टी आया हुआ था मैने अपनी mother को अगले दिन बोला मैं बुआ जी को मिलने जाना है मेरी मदर बोलने लगी नही जाना बुआ के घर, मैं हैरान हो गया 10kms पर मेरी बुआ जी का घर था एक ही बुआ थी न हमारी कोई ताई  न चाची थी और हमे दोनो को एक ही शहर पड़ता था पिता जी से पूछा पिता जी ने कोई जवाब नही दिया जब मदर से नाराजगी  का  कारण पूछा तो उन्हों ने बताया किसी भैंस की खरीद दारी में मेरे मां बाप ने सिलेक्शन सही नही की हा में हा मिला दी थी दुसरी और मुझे अपनी बुआ जी से भी डर था उस का स्वभाव बहुत जिद्दी था तो मैंने अपनी मदर की सलाह  को ठीक समझा मैं सोचा चलो अगली छूटी में सही हो जाए गा लेकिन यह तीन साल तक मनमुटाव चलता रहा आखिर किसी शादी के फंक्शन में सुला होगी  तब मेरी बुआ जी ने मेरी मां को बोला जल्दी से जल्दी मेरे चारो भतीजो को मिलाए आज वो बेशक इस दुनिया में नही है पर उन की नाराजगी के दिन आज भी  मीठे लगते है।

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