सेवा निवृत (Retirement)

Retired

 Retirement एक सिपाही से लेकर राष्ट्रपति तक सब होते है सर्विस या उम्र के पुरा होने पर अपनी अपनी नोकरी से रिटायरमेंट हो जाती है वरना कुछ लोग तो अपने मरने तक कुर्सी से चिपके रहना चाहते है यह सरासर गलत है नए बच्चे तभी भर्ती होगे जब पुराने वाले रिटायर होगें और प्रमोशन भी तभी आगे बड़े गा जब सीनियर रिटायर होगा 20,25,30,35 साल नोकरी करने के बाद खुद रिटायर होना या सरकारी हुक्म से रिटायर होना घर आ कर फील आवश्यक होता है वह अपने आप को अपमानित जैसा फील करने लगता है जैसे गोली चलने के बाद पीछे खाली खोका रह जाता है वैसी फीलिंग हरेक को होती है समाज में सब को एक समान ही समझा जाता है चाहे वह मजदुर हो या कोई राष्ट्रपति से रिटायर हो चुका हो सब को वोट आदि का एक ही हक होता है चाहे वह पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ सब को लाइन में लगना पड़े गा DC के पद से रिटायर होने से आप की फीलिंग और भी असहनीय हो जाती है जब उस को उसी जिले में जाने से एक क्लर्क भी सलाम करने की जरूरत नहीं समझता लेकिन यह सोच अमानवीय होती है रिटायर तो एक दिन सब ने होना है पुलिस वाले इस में दो कदम आगे होते है वो सज्जन में या अपराधी में फरक समझते नही वहा किसी रिटायर को क्या respect हाेगी 

                   हर देश में फौजी रिटायरमेंट ही एक ऐसी रिटायरमेंट होती है जिस का समाज में आज भी आदर सत्कार किया जाता है उन की resettlement के लिए हर job में सरकार की तरफ से कोटा निर्धारित होता है प्राइवेट सेक्टर वालो से भी उन को पसंद किया जाता है कारण होता है उन की ईमानदारी वफादारी अपनी ड्यूटी के प्रति होती है सबर संतोख करना भी सेना सिखा देती है contentment संतोख बंदे की सब से बड़ी दौलत होता है यह फौजी के खून में हो जाता है जिस डिपार्टमेंट से आप रिटायर हुए हो उस के अचार विहार से जो आप ने सीखा है चाहे वह अच्छा है या भुरा उस के आधार पर ही आप को समाज देखेगा इसलिए रिटायर होने के बाद आप का व्यवहार सामाजिक अधिक होना चाहिए न की आर्थिक,धार्मिक मीटिंगों से बचना चाहिए परमात्मा का डर ही एक मात्र हमारे बचे जीवन को सुखदाई बना सकता है

            

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