प्रदेसी (foreigner)
प्रदेशी का अर्थ जो अपने गांव शहर देश से बाहर रहता है प्रदेशी होना कोई वरदान नही होता यह मजबुरी होती है कहने के लिए तो प्रदेश में भी समाज होता है पर वहा अपना कोई नही बनता मकसद केवल पैसा कमाना होता है प्रदेश और पराया दोनो शब्द अपने नही हो सकते एक गीत बहुत प्रसिद्ध है परदेशियो से अखियां ना मिलाना,ये जवानी का सच होता है एक गीत ओर बहुत famous हुआ था तेरी दो टक्या दी नौकरी मेरा लाखो का सावन जाता,ये भी सच है प्यार से बड़ कर कोई चीज नहीं इस दुनिया में,अभी सवाल उठता है केवल प्यार से समाज में काम नही चलता रिश्ते नाते और घर चलाने के लिए भी पैसा चाहिए घर नही तो प्यार नही आता,पैसा बने गा जब घर से बाहर जाएंगे या फिर बहुत land lord हो सकता है जिस का प्रदेश से कोई वास्ता न हो परंतु प्रदेश के बिना हम अधुरे होते है हमारा ज्ञान अधुरा होता है जब प्रदेशी की बात होती है तो फौजी की तस्वीर सब से पहले सामने आती है कारण यह है फौज हमेशा अमर रही है और हर युग में फौजी घर से बाहर रहता था ये सोच लोगो की आत्मा में बैठ गई इस के नतीजे यह भी निकले की फौजी से कोई शादी न करे ये लोग घर नही रहते आज के युग में चाहे ये trend बदल चुका है आजकलअधिकतर फौजी अपना परिवार साथ ही रखते है पिछले युग में ऐसा नही होता था अपना घर छोड़ना आसान काम नही होता पत्नी के लिए अपने पति से दुर रहना भी आसान काम नही होता पत्नी की देश के लिए असली कुर्बानी होती है।
दोनो महायुद्ध में प्रदेशी और फौजी दोनो शब्द इतने महशुर हुए की लोग इन की पुजा करने लगे मरना और मारना अखबारों की सुर्खियां होती थी आज भी उन दिनों कीअखबारों की खबरे आप ऑनलाइन पढ़ सकते हो यूरोप में ये होड़ चली हुई थी जो देश जितने अधिक फौजियो को मारेगा वही बड़ा देश माना जायेगा यूरोप की औरते अपने गहनो में युद्ध को दिखाती थी सुबह शाम युद्ध जितने के सुपने लेती थी आप अंदाजा लगा सकते हो जब औरतों में इतना देशप्रेम हो गा तो बचेगा कौन यही कारण था ये दोनो महायुद्ध 5,5साल चलते रहे पहले महायुद्ध की एक खुनी लड़ाई जो battle of Somme के नाम से प्रसिद्ध है यह लड़ाई मित्र राष्ट्र और जर्मन के बीच में 01 jul 1916 से 23 Dec 1916 में लड़ी गई मित्र राष्ट्र की फौज की कमांड इंग्लैंड के जनरल Heig और जर्मन फौज की कमांड जर्मन के जनरल Erich के हाथ में थी यह युद्ध plain इलाके का था इसी लिए इस युद्ध को Trench of war भी बोला जाता है यह आमने सामने की लड़ाई थी जनरल Heig ने पहले 17लाख shell या बंब जर्मन की front line पर गिराए यह बंब 7दिन तक गिराने के बाद Heig ने सोचा आगे सब कुछ बर्बाद हो चुका है 01जुलाई1916 को उस ने अपनी पैदल सैना को अंदर घुसने का आदेश दिया अगले 6घंटो में जर्मन की मोर्चे में बैठी फौज ने अपनी मशीन गनो से 19242 जवान मार दिए और हजारों जख्मी कर दिए जनरल Heig के इस miscalculation से पहले ही दिन भारी नुकसान हुआ मरने वालो में volunteer की संख्या भी काफी थी ये volunteers स्कूल के विद्यार्थी दुकानदार किसान आदि थे जैसे मैंने बताया की देशप्रेम की भावना यूरोप में इस कदर थी भारतीय ब्रिटिश फौज के first world war मे कुल 74187जवान मारे गए second world war में कुल 87000जवान सिविलियन मारे गए इन में अधिकतर जवान सिख सैनिक थे, प्रदेश में जा कर लड़ना हमारे जवानों के लिए गौरव का विषय बन गया यही कारण था रिटायर होने के बाद हमारे देश के जवानों ने विदेशो में जाना शुरू कर दिया आज उन के मुलखो से पंजाब ने खुब कमाया और रेंज को बड़ा लिया है
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