ठेका शराब देसी(liquor contract shop)
किसी शराब के ठेके के पास से गुजरने से पीने वाले का मन खुशी से भर जाता है दिल नाचने लगता है की ठेके की लोकेशन का पता चल गया है प्यार इतना उमड़ता है की उसे सारे लोग अपने ही लगते है शराब को चौदवा रत्न बताने लगता है पीने के बाद उस की खुशी देखने वाली होती है इतनी खुशी किसी करोड़ पति को नही होती जितनी खुशी इस साधारण मनुष्य को 100,200 रुपए खर्च करने के बाद मिलती है खुशी प्रगट करना हर बंदे को परमात्मा नही देता 80%ये लोग वही होते हैं जो मेहनती, परिवार प्रेमी और साफ नियत के लोग होते है और दारू को एक लिमिट में पीते है और दारू भी अपनी हक हलाल की कमाई से पीते है 20% लोग जो माडी नियत के कारण दारू को बदनाम करते है लड़ाई झगडे करना इन का पहला काम होता है चाहे वह घर में हो या बाहर यही 20% लोग दारू के बाद Dry नशे करते है और समाज को बदनाम करते है इन लोगो से परिवार वाले,गांव वाले, मुहले वाले सब परेशान होते है जब ये लोग अमली का रूप बन जाते है तो फिर चोरी करना झूठ बोलना आदि सब का सहारा लेते है पुलिस के लिए भी मुसीबत बन जाते हैं क्यों की समाज ने दारू को मान्यता दे रखी है समाज का हिस्सा बन चुकी है घर में गेस्ट आने से दारू को सब से अच्छी मेहमान निवाजी बोला जाता है शादियां बिना दारू के अधुरी मानी जाती है आप शादी पर 40लाख लगा दीजिए परंतु, अगर आप ने केवल 20हजार की दारू नही ऑफर किया तो आप का 40लाख व्यर्थ ही माना जाएगा और बाते सुननी होगी अलग से,अगर आप ने मास ऑफर नही किया तो उस में औरते भी नाराज होगी क्यों की westren कल्चर से सांझ होने से आजकल औरते मास को अधिक पसंद कर रही है और बच्चे भी मास खाते है इस लिए साधु संत भी शादी के मौके पर चुप रहते है क्यों की हर मन का अपना संसार होता है उस को कौन सी चीज पसंद है कौन सी नही, मन के हारे हार मन के जीते जीत जिन राज्यों में दारू बंद है वहा दारू की अधिक खपत हो रही है कारण दारू मन को खुश रखती है मन शरीर को खुश रखता है।
दारू पीने वाले को अपने दिमाग में यह पक्के तौर पर बैठा लेना चाहिए की दारू बंदे की कभी मित्र नही बन सकती यह सीढ़ियों के डंडे की तरह बड़ती जाती है 1से2peg, 2से 4,फिर4से8 फिर पुरी bottle आगे पुरा खानदान रिस्क पर,पत्नी ना जीने में ना मरने में, आसपास गांवो के उधारण मिलते है लोग 20,20 acre जमीन बेच कर दारू पी गए कारण बुरी संगत का असर, मां बाप की लापरवाही पत्नी का शांत स्वभाव आदि कारण होते हैं अभी में अपना भी बता देता हु फौजी होने के नाते फौजी को सख्त मौसम में ड्यूटी रहने से दारू को मानसिक खुराक समझ कर दिया जाता है जो एक सीमित मात्रा में होती है और एक कंट्रोल में दी जाती है ताकि जवान मानसिक तौर पर मजबुत रहे मेरा दारू का खुद का तुजरब्बा बताता है जीवन में 30साल से अधिक दारू नही पीना चाहिए जो पीना है 50साल से पहले बाद में इस से माफी मांगना ही अच्छा होता है वरना जीवन का आखरी टेस्ट नफरत में गुजरेगा मैने भी 2011में इस से माफी मांग ली वरना फौज से 10bottle का कार्ड मिला हुआ है चाय पीने से काम करने को दिल करता है जब दारू पीता था आलसी निकम्मा खुद को फील होता था।
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