मुकलावा (marriage rite)
मुकलावा शादी की एक यादगारी रस्म होती है यह जीवनभर आनन्द देती है यह दिन शादी का प्यार मुहब्बत का वह दिन होता है जो जीवन में सिर्फ एक बार मिलता है क्योंकी शादी जीवन में एक बार ही होती है इस दिन दो दिलों का मेल होता है असली जीवन की शुरुआत का पहला दिन होता है इस दिन का उदय पति पत्नी की आत्मा से होता है उस दिन दोनो साथी भोले भाले होते हैं ईमानदारी के साथ अपनी अपनी पेशकारी करते हैं दोनो तरफ से मां बाप की शुभ कामनाएं बच्चो के साथ होती हैं कुछ दिन तक मां बाप को चिंता रहती हैं की बच्चो की शुरुवात में कोई गलती न हो जाए क्यों की शादी के दौरान पति पत्नी को कई रस्मो से गुजरना पड़ता है इन में एक रस्म रिवाज दहेज का होता है जो शादी के taste को खराब करता है प्यार को चोट पहुंचती है दहेज प्रथा के कारण बहुत शादियां टूट चुकी हैं बहुत झगड़े फसाद हुए इन्हों ने प्यार को जंग में बदल दिया अधिकतर दहेज मां बाप की पसंद होता है बच्चो की पसंद नही होता बच्चो की पसंद शादी का enjoy करना होता है परंतु 60% बच्चो की इच्छा पुरी नही होती नई शादी को ग्रहण लग जाता है अगर बच्चे भी दहेज को सही बताने लग जाए तो एक दिन शादी टूट जाती है मुकलावे वाली रात भी दुश्मन बन जाती है
डोली का दृश्य हम सब देख चुके होते हैं कितना करुणा भरा होता है लड़की अपना घर छोड़ उस घर में जाती है जहां उसे फिर से उसे नए घर की a b c को सीखने जैसा होता है अपना घर छोड़ना अपने मां बाप को छोड़ना कोई आसान काम नही होता यह एक कुर्बानी होती है जो समझते हैं वो ही देवते होते हैं वरना पशुओं और इंसान में कोई फर्क नहीं होता प्राचीन समय में मुकलावा कई सालो के बाद आता था उस का कारण बाल विवाह होता था मां बाप छोटे छोटे बच्चो का match लगभग जन्म से ही कर देते थे लेकिन मुकलावा बच्चो के जवान होने पर ही भेजते थे बाल विवाह उस जमाने का कारण गुलामी था और गरीबी थी और जातपात का भेदभाव था इसलिए लोग समय से अपनी अपनी बिराधरी में रिश्ता डूंड कर शादी तय कर लेते थे बड़ा अच्छा भोला जमाना था आज शादियां लॉटरी बन चुकी हैं पता नही क्या बनेगा शादी सफल होगी या नहीं कारण अगर शादी केवल सेक्स के लिए होगी तो जीवन नर्क बन जाएगा शादी एक पवित्र बंधन होता है और मुकलावा जीवन का एक यादगारी दिन होता है जो प्यार को बनाए रखता है।
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