गुलामी (slavery)
गुलामी का अर्थ अपनी आजादी को खत्म करना अर्थात जिस की लाठी उस की भैंस, बड़ा देश छोटे देश को गुलाम बनाता है अमीर गरीब को, बहादुर कमजोर को, जंगल में सारे जीव जानवर बब्बर शेर के गुलाम होते है अर्थात शेर से डरते है 1947 से पहले छोटे बड़े 65 देश इंग्लैंड के गुलाम थे अर्थात इंग्लैंड के लोगो का इन मुल्खो पर राज था जब कोई देश ही गुलाम है तो उस के लोग भी गुलाम होगे हमारे देशवासी जब गुलाम थे तो वह अपने घर के ऊपर दुसरा घर नही बना सकते थे किसी बड़ी पदवी पर नही बैठ सकते थे अपनी मर्जी की सरकार नही बना सकते थे मुगलों के जमाने में तो कोई चबूतरा भी नही बना सकता था न उस चबूतरे पर बैठ सकता था देशवासियों को सूअर बोला जाता था काले और गधे आदि नामो से संबोधन किया जाता था ब्रिटिश के केवल 95000 अधिकारी इस देश को Duel system से चला रहे थे अर्थात अपने अधीन गुलाम हिंदुस्तानी अधिकारी बना कर कांटे से कांटा निकालते थे अर्थात हिंदुस्तानी से हिंदुओ का ही शोषण करवाते थे फिर इन में फुट डलवा कर राज करते थे वरना देश में 200 से अधिक छोटी बड़ी हिन्दू रियासते थी उन पर हिंदू राजे ही बैठे थे लेकिन कोई भी राजा यूनियन नही बना सका यह देश का दुर्भाग्य है इन को एक धर्म में इकठ्ठा करना बड़ा मुश्किल काम है बाबर ने 1528 ई में अपनी तुज्के बाबरी में लिखा है भारतीय मरना तो जानता है लेकिन लड़ना नहीं जानता ऐसी परिस्थितियों में किसी भी देश का गुलाम होना स्वाभाविक हो जाता है पानीपत की तीनो लड़ाई का कारण एकता का न होना था जिस से देश 1947तक एक के बाद एक मुगलों के बाद गोरे ने देश को गुलाम रखा गुलामी का सब से बड़ा दुख इस में विकास नही होता न घर का ना देश का आगे बड़ने की विचारधारा पर रोक होती है
जात रंगभेद छुआछात देश की अंदरूनी गुलामी की वजह से दलित वर्ग की आजादी का शोषण हुआ यह गुलामी हर गांव में अपनो ने ही बना के रखी हुई थी जिस में सविधान के आने से सुधार हुआ हमारे संविधान ने हर नागरिक को समानता का अधिकार दे रखा है वोट का समान अधिकार से देश में गुलामी खत्म की ओर जा रही है दलित वर्ग चाहे तो इलेक्शन को अपने पक्ष में कर सकता है समाज में दलित वर्ग की majority है गरीब के नाम से राशन फ्री बाटने का मतलब गरीब का डर सरकार को होता है अभी बड़ी जात का छोटी जात को कोई डर नही अर्थात अभी बड़ी जात की गुलामी का कोई मकसद ही नही बची जब अधिकारी और लीडर दलित वर्ग से होंगे तो यकीनन सुधार होगा Democracy ही एक मात्र आजादी होती है आप जिस को चाहे राजा बनाए जिस को चाहे कुर्सी से हटाए।लेकिन दुख की बात है हमारे देश में आजादी के बाद बहुत curruption हुए 1947 से पहले अमरीका हमारे रुपए के बदले में 4 डॉलर देता था लेकिन अभी हम उसे एक डॉलर के बदले 82 रुपए दे रहें हैं इसीलिए इस मामले में गोरे हमारे लीडरो से अधिक ईमानदार और अकलमंद थे ।
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