शमशानघाट(cemetery)
समंदर, नदी, नालो और गांवों के तलाबो के किनारों को घाट कहा जाता है प्राचीन समय में ये घाट नहाने धोने के घर के सारे काम यही पर होते थे है गांव के अपने घाट होते थे कारण साफ है सफाई के काम में पानी की आवश्कता होती है आज भी है धोबी का काम तो घाट बिना चल ही नही सकता इस लिए उस के नाम से धोबी घाट बन गया ऐसे ही एक नाम शमशान घाट या मुर्दा घाट भी बन गया जहा मुर्दो का संस्कार होने लगा हिंदू रीत के अनुसार शमशान घाट नदी के किनारे होना चाहिए और गांव से दुर होना चाहिए हिंदुस्तान का सब से बड़ा शमशान घाट बनारस में गंगा नदी के किनारे है और हरिद्वार का पवित्र घाट भी नदी के किनारे है जहा भी कोई नदी नजदीक से गुजरती है उस गांव या शहर का घाट उस नदी के किनारे होता है यह एक नेचुरल विदाई मृतक के लिए होती है
आजकल शमशानघाट हर गांव और हर शहर के अपने अपने बन चुके है 70% देश के शमशान घाट इतने सुंदर है देख कर किसी marriage palace में confusion पैदा होता है इन के अंदर लोगो के बैठने के लिए,पूजा के लिए, सुंदर कमरे जिन में AC आदि लगे हुए है यहां पर बैठा इंसान सोचने के लिए मजबूर होता है आज तो इस चीज की जरूरत नहीं थी कारण मौत का डर भी होना जरूरी है मौत का डर ही दुनिया को सही रास्ते चला रहा है क्यों की कोई आदमी मरना नहीं चाहता लेकिन यहां शमशान घाट उसे याद दिलाता है आखिर तूने भी एक दिन यही आना है जिस से इंसान का blood pressure ठीक रहता है और वह अपनी लछमन रेखा बनाना जरूरी समझने लगता है कोई पुण धान के लिए भी उसे यहां से शिक्षा मिलती है
प्राचीन समय में लोग शमशान घाटों से बहुत डरते थे कारण कोई इलाज नहीं होता था लाखो लोग छोटी छोटी बीमारियों से मर जाते थे जब crona जैसी बीमारियों से तो लाखो निर्दोष लोग मर जाते थे जिस से शमशान घाट को अपना दुश्मन समझने लगे और डरने लगे उस दिशा का घर पर नाम नही लेते थे जिधर शमशान घाट होता था घर से अपने किसी प्यारे के जाने बाद मानसिक रोगी होने से उन के ववहार में तब्दीली आ जाती थी जिस को भुत प्रेत के नाम से जानते थे conclusion शमशान घाट हमारे जीवन की आखरी विदाई के लिए होते है जिस के बाद हम ने कभी नही मिलना होता
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