चरित्र (Character)
किसी बंदे के गुणों और व्यवहार से उस का चरित्र बनता है या यूं कहे जिस बंदे को लोग अधिक पसंद करते है उस का चरित्र अच्छा होगा और जिस बंदे को लोग नफरत करे उस का चरित्र अच्छा नहीं होगा समाज में 70% ये पड़ताल सही होती है लेकिन पूर्ण सच नहीं होता सरकारी नौकरियों में हर कर्मचारी और अधिकारी का annual character role (ACR) हर साल senior लिखता है उस में अलग अलग colume होते है उस की personlity में उस का ववहार,उस की गलतियां उस की ईमानदारी उस की वफादारी उस की smartness उस की मेडिकल रिपोर्ट के अनुसार उस का कैरेक्टर लिखा जाता है इसी के आधार पर उस को प्रमोशन मिलता है अगर उस को कोई punishment हो चुकी है उस की वजह से उस का permotion में देरी हो सकती है On ground भी उस बंदे के साथ काम करना खतरे से खाली नही होता जिस का Bad character घोषित हो चुका है समाज में अधिकतर character का ध्यान उस की शादी की engagement के समय रखा जाता है पूछता
छ ही एक जरिया होता है लड़का या लड़की उचित है या नही अगर पता चले लड़का शराबी कुआबी है तो रिश्ता नही मिलता ऐसे ही लड़की का पता किया जाता है उस का चाल चलन उस की सोच पर अगर शक हो जाए तो रिश्ता नही होता यहां हम ये समझे character हमारा जीवन को बहुत प्रभावित करता है पुलिस भी उस के verification को रोक देती है
अगर हम character में भेदभाव देखे तो हमारे देश के मंत्री जिन के ऊपर कतल के केस चल रहे हैं सरकार में मंत्री हैं ये लोग सैंकड़ों की तादाद में है इन को लोग ही सिलेक्ट करते है देश में ईमानदारी वफादारी तभी आगे बडेगी जब हम अच्छे character वाले लीडर का चुनाव करेंगे लेकिन हम सब फ्री राशन आदि के लोभ में आ जाते है और देश का character भी खराब कर रहे हैं conclusion अगर हम dicipline में रहना सीख लेते है तो character अच्छा ही बनेगा हमारे स्कूल कालेज प्रशासन यूनिवर्सिटी आदि सब का उद्देश्य हमे एक अच्छा इंसान बनाना होता है। महत्मा गांधी जी का उपदेश if something is lost nothing lost,if money is lost something lost,if character is lost everything is lost।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें