त्योहार और मेले (Festivals and Fair)

Festiwal

 त्योहार और मेलो का योगदान समाज को एक महान देन है त्योहार और मेलो पर बड़े बड़े इकठ Gathering होती हैं यह gathering सभी धर्मो जातियों के मेलजोल से बनती है जब आप किसी मेले में हाजिर होते है एक स्वर्ग जैसा महसूस होता है रंग बिरंगे कपड़ों में,मर्द औरत का सुंदर शांगार और सब लोग सज धज के पहुंचते है, बाजार लगाए जाते है छोटे बच्चो के खेल ख्लोने रखे जाते है मनोरंजन की अलग से व्यवस्था होती है फ्री में भोज दिया जाता है फ्री में मेडिकल कैंप भी लगाए जाते है ऐसे ही हमारे मुख्य त्योहार जैसे दिवाली होली दशहरा  जन्माष्टमी ईद Good Friday और गुरुपर्व मनाए जाते है इन सब का मकसद प्यार और मुहबत बाटना होता है भाईचारे को मजबूत करना होता है 

      प्राचीन समय में तो मेलो की gathering ही लोगो की life line होती थी आज भी मेलो का रूझान मशीनरी की वस्तुओं को दिखाने के लिए बड़ चुका है अभी इन का नाम commercial मेले से भी होता है मकसद होता है लाइव जानकारी लोगो तक देना होता है प्राचीन समय में लोग मेले वाले दिन ही अपने रिश्ते नातों की जानकारी आसिल कर लेते थे देश गुलाम होने के नाते लोग अपनी इस खुशी से बड़ कर और कोई खुशी नही समझते थे गोरे लोग केवल त्योहारों के दिनों पर ही इन को छूटी देते थे वरना सालभर इन से काम लिया जाता था ऐसे ही हमारी देश की शुद्र प्रथा के कारण केवल त्योहारों पर ही छुट्टी देते थे इस दिन ये गुलाम लोग केवल कुछ मनमर्जी का खाना आदि बना कर भगवान की पुजा करते थे या यू कहें त्योहार के दिन ही उन के अपने होते थे बाकी सब गुलामी के अधीन दिन गुजरते थे।हमारे त्योहारों ने हमारी प्रजा की बहुत रक्षा की है,हमे एकता के सूत्र में बांध कर रखते है।





टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

साइकिल और स्वास्थ(cycle and Health)

प्यार (Love)

समय (TIME )