मेहमान(Guest)
प्राचीन समय में घर में आए हुए मेहमान को घर में परमात्मा का रूप ही समझा जाता था जितनी परमात्मा की पुजा कर के मन को शांति मिलती है उतनी शांति उन को मेहमान की सेवा कर के मिलती थी कारण प्राचीन समय में यातायात के साधन ziro होते थे घोड़ा एक मात्र साधन था वह भी कुछ लोगो के पास होता था रास्ते कच्चे और पानी से भरे रहते थे लोग दो दो दिन पैदल चल कर अपनो को मिलने जाते थे और रास्ते में रात होने पर किसी भी गांव में शरण ले लेते थे और सुबह early morning फिर अपनी मंजिल को चल पड़ते थे शाम 5बजे के बाद जंगलो नदी नालों से गुजरना खतरनाक होता था जंगली जानवर का डर बहुत होता था गांव से गुजरने वाले मेहमान को इलाके की update के बारे सूचित कर दिया जाता था 1853से 1904तक पुरे देश में रेल गाड़ी की की पटडी बिछाने का काम पुरा हो चुका था लेकिन लोग गुलाम होने की वजह से डरते थे और अति गरीब होने की वजह से टिकट के लिए पैसा भी नही होता था
मेहमान multi purpose का रोल अदा करता था अपने गांव के सब के मैसेज लेने और देने का काम भी करता था और रास्ते के गांव के भी मैसेज लेने और देने का काम हो जाता था इसलिए महमान को देवता समझा जाता था आप इस modren जमाना के बाबजूद अगर आप का फोन आप से जब घुम हो जाता है तो ऐसे लगता है जैसे आप भी घुम हो चुके है लेकिन घर पर पड़ोस में दुसरे के फोन available हैं तब भी आप communication बंद होने से demorale होते है इस की तुलना उस जमाने से कीजिए जब कई कई साल मां बाप अपनी लड़की की शादी के बाद मिल नही पाते थे किसी से खबर मिले कब मिले कोई ग्रांटी नही थी इस जमाने की सख्त रीत थी की लड़की के घर का एक भी पैसा खर्च न हो इस लिए मां बाप उस जमाने में लड़की के घर पानी पीना भी मां बाप के लिए पाप समझा जाता था गांव की सारी लड़कियों को अपनी लड़कियां समझा जाता था जब लड़की अपने गांव आती थी सारा मुहला invitation देता था घर मिटी के होते थे पर दिल सच्चे होते थे मेहमान और मेहमान निवाजी उन की आत्मा की मांग होती थी आज 90%रिश्ते मेहमान पैसे को देख कर बनते है मेहमान का सम्बंध प्यार से जुड़ा होता न कोई पैसा से,प्यार से बड़ कर दुनियां में कोई वस्तु नहीं है न ही प्यार बाजार में मिलता है
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