पड़ोसी (Neighbour)
अच्छा पड़ोसी एक देवता जैसे ही होता है पड़ोसी जिन के घर हमारे घर के दोनो तरफ या आमने सामने होते हैं हमारे पड़ोसी होते है पड़ोसी, रिश्तेदार से अधिक महत्त्वपूर्ण होता है एक दुसरे के दुख सुख में फॉरन हाजिर होता है पड़ोसी को अपने पड़ोसी की पूर्ण जानकारी होती है वह पड़ोसी के स्वभाव असलियत को नजदीकी से जानता है पड़ोसी से कुछ भी छिपा नहीं होता जब पड़ोसी कुछ दिन के लिए बाहर घुमने जाते हैं तो पीछे घर बाहर की रखवाली अपने पड़ोसी की होती है पड़ोसी नजदीक होने के कारण अपने पड़ोसी की सहयता करना अपनी पुजा के समान ही समझता है उसे जो साकुन संतोख मिलता है वह अपने रिश्तेदार से नही मिलता कारण वह उस का पड़ोसी नही होता रिश्तेदारी एक सामाजिक बंधन में होती है दुसरा, रिश्तेदार घर से दुर भी होता है जब हम प्रदेश में नोकरी पेशा करते है फिर हमे अपना पुरा गांव शहर ही अपना लगता है उस देश में जब अपना कोई गांव वासी मिलता है तो समझो अपने घर वालो के दर्शन हो गए यह अपने गांव की मिटी का मोह होता है और यह movments हमारी आत्मा में चले जाते है भगवान कृष्ण और सुदामा जी का भी यही कारण था पता चलने पर भगवान कृष्ण जी खुद अपने मित्र सुदामा जी को रिसीव करने गेट पर पहुंच गए थे यह नतीजा मित्रता का था पड़ोसी का था सुदामा जी के सारे दुख सुख पर विचार हुए और उन को मदद दी गई जैसे एक सच्चे पड़ोसी और मित्र से पूर्ण आशा होती है सुदामा जी की पत्नी यह सब देख बहुत खुश हुई सोचने लगी किसी के मित्र भगवान भी होते है।
याद रहे पड़ोसी अच्छा हो या भुरा हो उस को बदला नही जा सकता पाकिस्तान हमारा पड़ोसी मुल्ख है सैंकड़ों झगड़े और तीन बड़ी लड़ाइयां भी हो चुकी है कुछ हासिल नहीं हुआ हजारों निर्दोष लोग मारे जा चुके है अगर अच्छे पड़ोसी की परिभाषा की समझ नही होगी तो दोनो तरफ से जानी माली नुकसान होता रहेगा कनाडा अमरीका दुनिया में सब से अच्छे पड़ोसी है उन की मित्रता उन के खून में प्रवेश कर चुकी है एक दुसरे के दुख को अपना दुख समझते है कनाडा और अमरीका का बॉर्डर हजारों किलोमीटर लम्बा है जो पड़ोसी के लिए आनंद का सागर बना हुआ है एक दुसरे के आमने सामने पड़ोसी शहर है हमारे देश के नागरिक भी यहां बस्ते है और पड़ोसी जीवन का आनंद मानते हैं
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