चढदीकला(prosperious)
चढदीकला एक पूर्ण सफलता का नाम होता है सफलता बोलने से इतनी energy फील नही होती जितनी चढदीकला बोलने से मिलती है इस का नाम लेते ही इंसान अपनी रैंक पदवी पर नजर डालता है जीवन एक स्ट्रगल है यह दुखों और सुखो का घर होता है जीवन में बड़े बड़े दुःख और बिमारियां लड़ाइयां सब से भरा होता है बड़े बड़े अमीर लोग भी दुखी देखे जाते है बल्कि अमीर लोगो से गरीब अधिक खुश देखे जाते है कारण गरीब लोग प्राकृति से जुड़े होते है परंतु अमीर पैसे से जुड़े होते है गरीब या मजदुर शरीरक तौर पर चढदीकला में होते है चाहे पैसे से गरीब होते है अगर परमात्मा को देखना हो तो आप गरीबों की बस्तियों में देख सकते हो या इंटो के भठो पर देख सकते हो जनवरी के महीने में बच्चे नंगे पांव केवल एक कपड़े के साथ खुशी खुशी खेल रहे होते है पास से गुजरने वाले लोग देख कर रूक जाते है फील होता है परमात्मा इन के साथ है किसी भी temperature में चाहे गर्मी हो सर्दी हो इन के बच्चे नंगे पांव खेलते हैं
इतिहास पढ़ने से पता चलता है गुरु गोबिंद सिंह चढदीकला के मालिक थे गुरु जी ने मुगलों के साथ 14 जंगो में विजय हुए एक चमकोर साहिब की जंग जिस में गुरु जी ने अपने एक सिख को सवा लाख से लड़ाने का demo दिया एक तरफ मुगल फौज और सारी उस समय की लोकल फौज जिस की संख्या लगभग 10लाख और दुसरी तरफ केवल 40सिख शुरवीर 05,05 के जथे बना कर सारा दिन लड़ते रहे गुरु जी ने मुगलों के दो सैनापतियो को अपने तीरो से मौत के घाट उतार दिए गुरु जी मुगलों की फौज का घेरा तोड़ने में सफल हो गए इस लड़ाई में गुरु जी के अपने 02 साहिबजादो को भी कुर्बान कर दिया दुनिया के इतिहास में ऐसी unmatched लडाई का कहीं और उधारण नही मिलता और न ही छोटे साहिब जादो की कुर्बानी का दुनिया के इतिहास में कोई और उधारण हो चढदीकला में रहने के लिए हमे जोश होश दोनो की जरूरत होती है well planings,well action और well foresighted and unity की भारी आवश्कता होती है चाहे यह छोटे लेवल पर हो चाहे बड़े लेवल पर साथ में उद्देश्य पब्लिक की भलाई का ही होना चाहिए तभी आप चढदीकला में होगे भ्रष्टटाचारी या बेईमान आदमी कभी भी चढदीकला में नही होता चोरी का माल मोरी में कहावत है
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