पंजाबी सुट(punjabi suit)
पहरावा उस देश की जलवायु मौसम आदि के अनुसार ही बनता है नए और पुराने जमाने का combination हर जमाने में देखने को मिलता है प्राचीन समय से हिंदुस्तान की कल्चर को एक rich culture कहा जाता है चाहे कोई भी निर्माण कला हो हिंदस्तान का मुख्य पहरावा कमीज धोती लंगोटी घगरा साड़ी और पगड़ी रही है आज भी यह पहरावा देखने को मिलता है उस के बाद पंजाबी पहरावा जिस में पंजाबी सुट,कुर्ता पजामा मुख्य है यह इस्लामिक समाज की देन है यह दोनो पंजाबी पहरावे पूरी दुनियां में पसंद किए जाते है इस के इलावा पगड़ी चुनी भी पंजाबी पहरावे का हिस्सा हैं पगड़ी अरब देशों में आज बड़े सत्कार से पहनी जाती है इतिहास पढ़ने से पता चलता है हजरत मुहमद साहिब खुद भी पगड़ी बांधते थे और पगड़ी का दान पुनः भी करते थे पगड़ी की आन शान को सिखो ने महान बनाया है इस की पहचान दुनिया में होने लगी है मुगलों के बाद ब्रिटिश का जमाना आया इन्हों ने पैंट कमीज हिंदु समाज को दिया जो आज हिंदुस्तान का मुख्य official dress है और सामाजिक ड्रेस भी मुख्य है इस के इलावा कुछ दुलहा दुल्हन के खास पहरावे होते है जो समय अनुसार बदलते रहते है लेकिन इन में पंजाबी दुल्हन की फुलकारी चुनरिया जो लाल कलर में होती है कोई जमाना इसे बदल नही सका यह फुलकारी पुरी दुनिया में पहुंच चुकी है इस के बिना दुल्हन बन ही नही सकती आप करोड़ो रुपए लड़की की शादी पर खर्च कर भी आप की आत्मा को शांति नही पहुंचेगी जो अकेली फुलकारी को मान्यता है
अगर हम scientific या विज्ञानिक तौर से अध्यन करे तो पहरावा वह होना चाहिए जो हमारे काम करने में अड़चन पैदा न करे अगर हम साड़ी पहन कर physically काम करेगे तो मुश्किल आती है साड़ी का फैलाव अधिक होने से किसी मशीन में फसने के चांस अधिक होते है पंजाबी सुट में यह खतरा न के बराबर होता है चुनी को सुट से अलग किया जा सकता है ऐसे ही पैंट कमीज में भी काम अधिक आसानी से हो सकता है पजामे कमीज से इस का फलाव कम होता है वास्तव में यह सचाई है लेकिन कोई पहरावा नगेज को permote करेगा तो वह पहरावा जल्दी बदनाम हो जायेगा और उस को पहनने वाला भी साथ बदनाम हो जायेगा पहरावा हमारे skin की रक्षा करता है।
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