भरोसा(self confidence)
हम सब जन्म से मरण तक भरोसा शब्द सुनते रहते है क्योंकि इस शब्द का सम्बन्ध या अर्थ केवल आप के खुद के तुजरबे से होता है आप की हकीकत से होता है आप की निपुणता से होता है फलाने काम को आप कर सकते हो या नही आप को पहले पता चलना चाहिए जैसे आप ने दो ग्लास पानी पी लिया अभी आप को वही दो ग्लास दुध पीने के लिए कहा जाए तो आप का शरीर दिमाग और मन तीनो मिल कर बताएंगे आप में 2ग्लास दुध पीने की हिम्मत है या नही अगर तीनो में से एक भी न माने तो समझो आप में भरोसा नही है मतलब हिम्मत नहीं है वह काम अधुरा होगा जितना बड़ा आप काम करते हो उतना बड़ा उस काम का तुजरबा होगा उसी काम को 3,4बार आप कर लोगे फिर आप को उस काम पर भरोसा भी होगा हिम्मत भी होगी बिना प्रैक्टिकल के तुजरबा नही होता बिना तुजरबे के आप निपुण नही बन सकते बिना निपुणता के आप को भरोसा नहीं होगा जिस को साइकिल चलाना आता है उस को साइकिल पर भरोसा है न की मोटर साइकिल पर,अगर उसे मोटर साइकिल चलाना नहीं आता, तो एक्सीडेंट या मौत
Self confidence पैसा ही होता है बंदे की कमाई का साधन होता है और जीवनभर काम आता है इसलिए दादा दादी या नाना नानी की हैसियत बड़ी होती है उन की लंबी उम्र के कारण उन के पास हाथ से काम के बहुत experience होते हैं जो बच्चो की जरूरत होती है वह बच्चो को practically सिखाते है जिस से बच्चो में भरोसा पैदा होता है practically life पढ़ाई से अधिक शक्तिशाली होती है और भरोसेमंद होती है अमरीका के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहमलिंकन भरोसेमंद थे जबकि हिटलर हंकारी थे लिंकन अपनी 64Th कोशिश में राष्ट्रपति बन गए हिटलर को आत्महत्या करनी पड़ी उस को प्यार और शांति में भरोसा नही था सहन करने की हिम्मत नही थी।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें