नापतौल vs बिजनेस(Measurement vs business,)
किसी वस्तु को बेचने के लिए या मूल्यांकन करने के लिए नापतौल की जररूत होती है हर फील्ड का अलग अलग पैमाना होता है किसी solid वस्तु को तराजु से तौला जाता है अगर जमीन है उस को फिते से मापा जाता है अगर कोई तरल पदार्थ है तो उस को लीटर में अगर बिजली के खर्च को watt या किलोवाट,बुखार को बैरोमीटर से अगर कपड़ा है तो मीटर में अगर कोई दवाई या सोना ग्रामो में, तनखाह पेंशन महीने और कुछ नंबर या दर्जन में होता है ये सारे पैमाने हमारे जीवन को चलाते है और समाज में लोगो का भरोसा बना के रखते है सरकार भी इन पैमाने से GST आदि चार्ज करती है ।
नापतौल का माहिर whole sale और retail दोनो में खुब कमाई करता है उस का मकसद कम तोलना नही होता उस को सही distribution करना आता है या यू कहें उस को सही adjust करना आता है मानलो आप के पास 10 acre जमीन है आप उस को new colony बनाना चाहते हो यहां सारे का सारा काम जमीन के डिस्ट्रीब्यूट से जुड़ा होता है जमीन के नापतौल के ज्ञानी करोड़पती से कम नही होते,जानकारी और ज्ञान में अंतर होता है जिस को सरकार के नियमो के अंदर रह कर अपनी प्रोपर्टी की लंबाई चौड़ाई को फिट करना या उस को पेश करना आता है वही गणित का master होता है, आर्किटेक्ट का हाथियार भी मीजरमेंट ही होता है,आर्किटेक्ट कॉलोनी की सिलेक्शन नही कर वह बिल्डर कर सकता है ,कपड़े के मामले में टेलर मास्टर एक ही होता है जिस में लोगो का विश्वास होता है क्योंकि उसे मीजरमेंट का पुरा ज्ञान होता है वह कपड़े को एडजस्ट करना जानता है ,Measurement से बिजनेस बनता है।
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