इंतजार (waiting)

Waiting

 इंतजार दर्द देता है या परेशान करता है इंतजार चाहे खुशी का हो या गमी का हो  हमारी एकाग्रता को बांट देता है दुसरे काम पर इस का असर पड़ता है मानलो आप किसी रिश्ते दार को रेलवे स्टेशन पर रिसीव करने पहुंचे तो पता लगा गाड़ी 2घंटे लेट आ रही है अभी आप इस समय को कैसे निकालना है आप को समझ नही आ रही कुछ समय के बाद आप आने वाले रिश्तेदार पर negative सोचना शुरू करोगे इस ने प्लान ठीक नही किया या इस की किस्मत अच्छी नहीं है या रेलवे वालो पर negative सोचना शुरू होगा कारण अपने घर से बाहर जाने से हमारे मन की freedom गुलाम हो जाती है या मन की तरूंत मिलने की इच्छा पुरी नही होती जिस से attraction कम हो जाता है मन नेगेटिव सोचने लगता है अगर  किसी lover की ट्रेन लेट हो जाए तो फिर इंतजार अधिक कठिन हो जाता है ,शादी के दिन का इंतजार वह सोचता है 24घंटे का दिन गलत है 12घंटे का होना चाहिए अगर किसी का पैसा लोटाने की तारीक मिली हो तो सोचता है दिन 50घंटे का होना चाहिए यहां उसे लम्बा इंतजार अच्छा लगता है मन शेतान होता है किसी की गुलामी नही करना चाहता 

                  सचाई यह भी होती है जो इंतजार में मजा आता है वह इकरार में नही आता जब शादी की date मिल गई  इकरार हो गया इस तारीक शादी हो जानी है शादी के सुपने जो मजा दे रहे थे वो अभी बंद हो जायेगे क्योंकि इकरार हो चुका है ऐसे ही पुरा जीवन इंतजार और इकरार की खुशियों और गमीओ का आनंद होता है मौत का इकरार कोई नही करना चाहता क्योंकि वह खतरनाक इंतजार होगा इसलिए परमात्मा किसी से कोई भी इकरार नही करता हुक्म करता है।

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