घर का खाना vs बाजार का खाना(self vs bazar cooked food)
परमात्मा ने जिस को Future में सजा लगानी होती है उस के जीभ के चस्के बड़ा देता है ताकि वह चारु बन जाए चारु मतलब सारा दिन उस का भिन भिन खाने की तरफ ध्यान रहे जब उस के चस्के घर के खाने से पुरे नही हो गे तो स्वाभाविक है वह junk food खाए गा,junk food अपने आप मुंह में नही चला जाता फिर सारा junk food को क्यू दोष दिया जाता है,junk food किसी इमरजेंसी के लिए था
सचाई ये है जब कोई भी खाना हम बाजार से खाए गे तो वह उन की मर्जी से बना होगा वह चाहे हमे छूट करे या न करे और किस हालत में बना है हमे नही पता हो सकता है उस में Food posion आ चुका है या नहीं घर जैसी गारंटी नहीं मिल सकती
एक तरफ हम ध्यान रखते है की सब्जिओ पर pestisites जहर का स्प्रे होता है चाहे इस का असर indirectly होता है पर होता जरूर है का हेल्थ के लिए हानिकारक है पर junk food मे तो डायरेक्ट chemicals और food colour डाले हुऐ दिख रहे हैं जो किडनी के लिए सीधे सीधे जवाब दार है मोटापे का तो आप ने सोचा भी नही हो गा,40साल में 70साल वाले सारे symptoms आ जाते है ये जीवन एक नर्क की तरफ जाने लगता है अभी पछताने से कुछ नही होने वाला अभी junk food doctor के कहने से बंद हो जाए गा
मेरे घर में आज भी अपना अनाज रखा जाता है उस को चक्की से सामने पीसा जाता है ऐसे ही घर के चावल और घर की सब्जियां ,फ्रूट्स etc Natural sources जो सदियों से सही सिद्ध हो चुके है हमे जारी रखने चाहिए
Conclusion सब से पहले अपनी खाने की पसंद को कंट्रोल करे दोनो पति पत्नी सोचे आगे बच्चो को क्या सीखा रहे है सिर्फ इमरजेंसी में ही junk food लेना चाहिए.
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें