रोजगार और बेरोजगार (employment and un employment)
अगर हम ध्यान से देखे तो रोजगारी और बेरोजगारी को जन्म देने वाला हमारा घर ही होता है या हमारे मां बाप जो अनजान होते है की पढ़ाई के इलावा अमीर बनने के ओर बहुत साधन उपलब्ध है उन के लिए पढ़ाई नाममात्र ही काफी होती है लेकिन वो इस दुनिया की भेड़चाल में मगन रहते है मैने अपने पिछले ब्लॉग में भी यह लिखा था की महाराजा अकबर और महाराजा रणजीत सिंह दोनो कोरे अनपढ़ थे लेकिन सब से अधिक अकलमंद थे और दोनो राजा धर्म निरपेक्ष थे कारण उन को घर से अच्छे संस्कार मिले हुए थे और लड़ाई में दोनो को कोई चैलेंज नही कर सका जब तक जीवित रहे,इसलिए पढ़ाई बंदे को केवल रोजगार दे सकती है ये धारणा गलत है जो अकल दे सकती है वह पढ़ाई नही दे सकती हमारे देश के अधिकतर अनपढ़ या अधपढ बाहर मुलखो में गोरे लोगो से भी अधिक अमीर है जो इंडिया में छोटे किसान थे उन के पास अमरीका कनाडा ऑस्ट्रेलिया में 500-500 Acre average लैंड है
बंदे की इच्छाएं रोजगार या बेरोजगार होती है अगर बंदे ने कुछ ठान लिया है तो वह रोजगारी है नही ठाना तो बेरोजगारी है यह सच है चाहे वह पड़ा लिखा है या नही काम करने वाले के पास काम बहुत होते है न करने वाले के पास बहनेबाजी जब बंदा गांव से बाहर निकलता है उस का भविष्य तय है दुसरा बड़ा कारण बेरोजगारी का हमारी जाति प्रथा की मैं बड़ी जाति का हु जाति से कोई बड़ा छोटा नही होता काम से आदमी बड़ा छोटा होता है मरने के बाद बंदे के कर्मो को दुनिया याद करती है न की जाति को आप देखो अभी विदेशों में हमारे स्टूडेंट बच्चे जो वहा पड़ने गए है बर्तन साफ करने के काम को अपनी जिंदगी की अच्छी शुरुवात मानते है और कमा के अपनी पढ़ाई की fee भरते है वो मुल्ख उन का मजबूत बेसिक बनाते है हमारे यहां जाति के गुणगान सीखते है मां बाप को चाहिए अपने बच्चो को Hard worker की प्रेरणा देना चाहिए न की हर समय कुर्सी वाला काम मिले याद रखे कुर्सी वाले कर्ता की उमर काम होती है शरीरक काम करने की तुलना से,डॉक्टर की उमर मरीज से कम होती है डॉक्टर की average उम्र 59 साल और मरीज की 72साल,conclusion बंदे की इच्छा ही रोजगार या बेरोजगार होती है।
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