मित्र (FRIEND)

Friendship in childhood

 मित्र एक प्राइवेट रिश्ता होता है यह blood रिश्तों से भी अधिक प्यारा होता है मित्र ने देना ही होता है लेना कुछ नही होता बचपन के मित्र मिलने से शरीर में एक खुशी की लहर दौड़ने लगती है मित्रता एक प्यार का नाम है प्यार में जो ताकत होती वह अनुमान से बड़ कर होती है पशु पक्षी भी मित्र बनाते है जब घर के सब पशु इकठे होते है अचानक मालिक उन में से एक पशु को बेच देता है तो वह 2दिन तक चिलाते रहते है जोर जोर से आवाजे लगाते है की वह वापिस आए घोड़ा,कुता तो इंसान के पक्के वफादार मित्र होते है स्कूल के मित्र,कॉलेज के मित्र ,जॉब के मित्र आदि जीवन में बदलते रहते है लेकिन बचपन के मित्र आत्मा के अंदर बैठे रहते है और मरने तक याद रहते है देश भी एक दुसरे के मित्र होते है एक दुसरे की मदद करते रहते है,सब मित्रो में एक परम मित्र होता है जिस में गुणों की संख्या अधिक होती है जिस में समाज के सारे गुण होते है 

                  अच्छा और बुरा मित्र  उन के स्वभाव  के कारण होता है कहीं गर्म स्वभाव के मित्रो की टोली होती है कही निम्र स्वभाव के मित्र होते है सुभाष चंद्र बॉस और महात्मा गांधी अपने स्वभाव के कारण मित्र नही बन सके,मुंह में राम राम बगल में शूरी, ऐसे  मित्रो की भी कमी नही है ऐसे मित्र बनते ही लूटने के लिए ऐसे मित्र भी बनते है जो दूसरे मित्र की बहनों को निकालने के लिए बनते है ये पापी मित्र होते है कुछ मित्र बेशर्म भी होते है सारी उम्र मित्रता का misuse करते है सारी उम्र मित्र से मांगते रहते है,परम मित्र का सब से बड़ा गुण होता है वह पैसे पैसे का हिसाब मित्र का चुकाता है अपने character पर proud करता है,मार्किट में गुडविल का समान करता है अच्छे मित्रो की संगत जीवन को ऊंचाई पर ले जाती है प्राचीन समय में मित्रता को मजबुत रखने के लिए पगड़ी भी बदल लेते थे मित्रता धर्मनिरपेक्ष होती है मित्रता का संबन्ध प्यार से होता है

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