हुक्म (order,command)
समाज में अधिकतर हुक्म शब्द परमात्मा से जुड़ा हुआ है जब किसी की मौत हो जाती है तो बोला जाता है ऊपर वाले का हुक्म आ गया है या बोला जाता है जितना हुक्म था इतना ही इस ने खाना था बोला जाता है दुनियां की हर चीज उस के हुक्म के नीचे है ये भी बोला जाता है उस के हुक्म के बिना पत्ता भी हिल नही सकता यहां order या आदेश कोई नही बोलता कारण सच है हुक्म भगवान या सरकार ही दे सकती है छोटा मोटा अधिकारी दिशा निर्देश देता है गुरुवाणी की पंक्तियां,हुक्म मने सो प्रवाण। हुक्म अंदर सब को बाहर हुक्म न कोई ।अर्थात जो व्यक्ति सरकार परमात्मा के हुक्म की पालना करता है सुखी रहता है,हुक्म बड़ा छोटे को देता है प्रार्थना छोटा बड़े को करता है परमात्मा के हुक्म की पहचान हर कोई आदमी नही कर सकता उस का हुक्म महसूस होता है दिखाई नही देता परमात्मा जज की तरह कोर्ट बना कर हुक्म नही देता परमात्मा के हुक्म का हर कोई पालन करता है क्यों की उस का हुक्म होता ही इंसान के भले के लिए हुक्म मानने के बाद इंसान खुश होता है परमात्मा का हुक्म मानना ही होता है उस सच्चे महान के हुक्म की कोई अपील दलील नही होती और ना ही उस almighty को कोई हुक्म दे सकता है सुरज चांद सितारे आकाश धरती राजे राने देवी देवते आदि सब उस के हुक्म के नीचे हैं
सैना इस हुक्म शब्द का सदुपयोग करती है हुक्म शब्द से लाभ उठाती है बार बार हुक्म पर विचार की जररूत नही पड़ती सैनिक की कमाई हुक्म का पालना करनी होती है वह जितने बड़े हुक्म की पालना करता है उतना बड़ा परमात्मा उस बना देता है यह सच है जो बच्चे मां बाप के हुक्म की पालना करते है वह जीवन में सुखी रहते हैं जो सच्चे संतो के हुक्म की पालना करते है वह अधिक खुश रहते है कुता मालिक का भरोसे मंद होता है क्यों की वह मालिक के हुक्म का पालन करता है देखने से कुत्ता घर का असली मालिक लगता है कारण कुत्ते को हुक्म में स्वर्ग का पता होता है इसी लिए गुरुवाणी है हुक्म मने सो प्रवाण।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें