हिस्सेदारी /सांझेदारी(partnership)


 अगर किसी सांझेदारी को लड़ाई का खेल बोले तो शायद बुरी बात नहीं होगी अर्थात कोई भी joint work चाहे वह सगे संबंधियों भाई बहनों या किसी दुसरे हिसेदारो के बीच हो जितनी जल्दी हो अपने share को अलग करना चाहिए अगर कोई खानदानी जायदाद सांझेदारी में पड़ी है सब को मिल कर हल करना चाहिए सब के लिए फायदेमंद है तब तक तरक्की नहीं हो सकती जब तक परिवार आजाद नही है घर की सांझेदारी तो आप एक रात के लिए भी मत करे  जब तक मां बाप स्वस्थ है इधर से ध्यान हटाएं अपने बच्चे साथ रखिए अगर आप नौकरी पर है कही पर हैं अपने बच्चो को अच्छे  संस्कार दीजिए, उलझने आप का कीमती समय बरबाद करती हैं आप का मनोबल काम करती है,अच्छे मां बाप अपना समय रहते  बटवारा कर देते हैं जो नही करते छोड़िए अपना समय बरबाद मत करे कोई प्लॉट जमीन में भुल कर भी किसी के साथ मत खरीदे अपनी आजाद खरीद करे वरना ये सांझेदारी की लड़ाई उम्र भर की हो जाती है कोर्ट कचहरियों में घूमना पड़ेगा ऐसी जायदाद में आप अपने आप को मालिक नही बोल सकते हिस्सेदार होते हैं,पंजाब में अधिकतर NRI की जायदाद अपनो ने ही कब्जा कर रखी है मालिको को मालिक नही समझते कारण एनआरआई लोगो ने भरोसा कर लिया की अपने हैं आज का जमाना withen family  बहुत अच्छा है अपना अपना रूम,उस का साजो सामान सही होगा  वह तरक्की करेगा,पुराने जमाने में लोग गुलाम थे अनपढ़ थे उन को गांव की लाल रेखा के अंदर ही रहना होता था खेती का काम हाथ से होता था अधिक लोगो की आवश्कता होती थी इस लिए सांझेदारी एक मजबूरी थी आज अधिकतर बच्चो को अपने खेतो का भी मालूम नही है इस लिए अपनी प्रॉपर्टी की बच्चो को भरपुर जानकारी दे वरना कोई डीलर बुधु बना के उन को लूट लेगा अपनी प्रॉपर्टी पर कब्जा मजबूत रखे।

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